वर्ष फलम २०२५-२६ | Varshphal 2025-26

Varshphal 2025-26 In Hindi | इस साल का विशेषण कैसा रहेगा?

प्रत्येक वर्षफल में परिवर्तन ग्रह परिवर्तनिय राशिक योग की स्थिति क्या रहेगी, यह जानना आपके लिए आवश्यक होगा। देखें कैसी रहेगी आपकी राशिक स्थिति और कैसी रहेगी किस्मत।


 Varshphal 2025-26

वर्ष फलम्

"तीक्ष्णं तपत्यदितिजः शिशिरेऽपि,
काले नात्यम्बुदा जलमुचोऽ चनसन्निकाशाः.
नष्टप्रभर्क्षगणशीतकरं नभश्च,
सीदन्ति तापसकुलानि सगोकुलानि" ||

"हस्त्यश्वपत्तिमदसह्यबलैरूपेता,
बाणासनासिमुशलातिशयाश्चरन्ति,
घ्नन्तो नृपा शुधि नृपानुचरैश्चदेशान्संवत्सरे,
दिनकरस्य दिनेऽथ मासे" ||

"तीक्ष्णोऽर्कः स्वल्पसस्यश्च गतमेघोऽतितस्करः,
बहूरगव्याधिगणो भास्कराब्दो रणाकुलः" ||

* 'कालयुक्त' नामक नवसंवत्सर २०८२, रविवार ३० मार्च २०२५ ई. से वास प्रारम्भ हो रहा है। भारतीय सनातन पद्धति में धार्मिक कृत्यों एवं व्रत पर्वों का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है और यह ज्योतिष शास्त्र द्वारा संचालित होता है। ज्योतिष शास्त्र भी वेद का एक अंग है इसे वेद का नेत्र कहा गया है। यह काल निर्धारक है और काल विधेयक भी।

* हर संवत्सर को संचालित करने के लिये ग्रह सभासदों की एक समिति बनायी जाती है जिसे आकाशीय मन्त्रिपरिषद् कहते हैं। इसमें कुल दस विभाग होते हैं।

* इस संवत्सर के मन्त्री परिषद् के पीठासीन अधिकारी अथवा राजा ग्रहराज सूर्य को बनाया गया है। चूँकि मेष संक्रान्ति भी रविवार के ही दिन रही है।
अतः मन्त्री अथवा सचिव का पद भी सूर्यदेव को प्राप्त हो गया। राजा और मन्त्री दोनों महत्त्वपूर्ण पदों पर महातेजस्वी सूर्य ग्रह ही विद्यमान हैं।

* कुल १० विभागों में से ६ विभाग पाप ग्रहों के अधीन हैं तथा ४ विभाग ही शुभ ग्रहों के पास हैं। इस प्रकार आकाशीय मन्त्रि परिषद में पापग्रहों का ही बहुमत है, परिस्थितियाँ परिणाम की स्वयमेय ही सूचक है।

* सूर्य के राजा होने के फलस्वरूप पृथ्वी पर सर्वत्र फसलों का उत्पादन कम होगा। मनुष्यों एवं पशुओं तथा जंगली
जानवरों को भी भोजन जुटाने के लिये कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

* नदियाँ-सरोवर झील-तलाब सभी सूखने के कगार पर पहुँच जायेंगे। देश की प्रमुख नदियाँ भी पानी के अभाव में क्षीण दिखायी देंगी। औषधियाँ वनस्पतियाँ तथ काष्ठ औषधियाँ अपना पूरा असर चिकित्सा में नहीं कर पायेंगी। शीतकाल में भी सूर्य की किरणें तीक्ष्ण रहेंगी।
* बड़े-बड़े पर्वताकार बादल उमड़-घुमड़ कर आयेंगे जल बरसाये बिना ही चले जायेंगे। चन्द्रमा और तारों की आभा मद्धिम जान पड़ेगी।
* साधु-सन्यासी, तपस्वी और धार्मिक आस्था से जुड़े लोगों को किन्हीं बातों से कष्ट पहुँचेगा। गायों एवं दुधारू पशुओं को भी पीड़ा पहुँचेगी।

* आधुनिक अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित सेना हर प्रकार से समर्थ रहते हुए भी तथा शासक वर्ग की प्रबल इच्छा के बावजूद हिंसा, उग्रवाद, तोड़फोड़ एवं पड़ोसी देशों के शत्रुओं के षडयन्त्र से पूर्ण सुरक्षित नहीं कर पायेंगी।

* फलस्वरूप आतंकी हमला से देश को तक्षति पहुँचेगी। आतंकवादियों द्वारा अत्यन्त घातक अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग कर हमको भीषण क्षति पहुँचाने का कुत्सित प्रयास किया जायेगा।

* रासायनिक एवं विषैली गैसों का प्रयोग पड़ोसी शत्रुओं एवं आतंकवादियों द्वारा किया जा सकता है। पड़ोसी देश से युद्ध जैसी स्थिति बन जाने की सम्भावना है।

* देश को इस वर्ष एक साथ आन्तरिक एवं बाहरी दोनों प्रकार के शत्रुओं, रोग, तस्करी, अग्निकाण्ड, विस्फोट जैसी हिंसक घटनाओं से जूझना पड़ेगा।

* विस्फोट एवं अग्निकाण्ड की कई घटनायें घटेंगी। राजा सूर्य और मन्त्री भी सूर्य है। अतः सृष्टि के शासन संचालन में कोई विरोधाभास नहीं रहेगा।

* सिंह लग्न में इस संवत्सर का प्रवेश हो रहा है। जिसका फलप्रायः शुभफलकारक ही है। प्रायः आकाश में बादल दिखाई देते रहेंगे।

* धातुओं जैसे सोना-चाँदी ताँबा पीतल तथा लोहा का भाव तेज चलेगा। उत्तर भारत में अच्छी वृष्टि होने का फल प्राप्त हो रहा है।

* वार्षिक फलादेश के लिये मेषार्क कुण्डली अर्थात् जगल्लग्न कुण्डली बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। इस वर्ष मेषार्क कुण्डली का लग्न मीन है और लग्न में ही, चार ग्रह स्थित है जिसमें दो पाप ग्रह हैं एवं दो शुभ ग्रह है।

* यह साल भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा। कुछ बड़ी कम्पनियाँ भारत में आर्थिक निवेश करेगी। जनता के स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से यह वर्ष चुनौतियाँ ले कर आयेगा।

* संक्रमण जैसी बीमारियाँ फैलेगी। देश के यातायात-ट्रान्सपोर्ट इत्यादि के साधनों को काफी विस्तार मिलेगा। देश की सताधीन पार्टी को विपक्ष के आक्रमक रुख-रवौये से काफी परेशानियाँ उठानी पड़ेगी।

* शिक्षा के क्षेत्र में कोई महत्त्वपूर्ण सुधार नहीं होगा बल्कि यह क्षेत्र सरकार की उदासीनता के कारण पिछड़ जायेगा।

* विदेश नीति में विरोधाभास रहेगा तथा कोई निश्चित पालिसी (नीति) नहीं बन पायेगी। कुल मिलाकर देश की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहेगी। किन्तु उसका लाभ सामान्य जनता को नहीं मिलेगा।

* फसलों का उत्पादन सन्तोषजनक रहेगा।


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